Introduction
जम्मू और कश्मीर, एक क्षेत्र जो न केवल अपने शानदार दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है बल्कि इसकी समृद्ध खाद्य विरासत के लिए भी, अनोखे पेय पदार्थों की विविधता प्रस्तुत करता है जो इसकी सांस्कृतिक महत्व और इसके लोगों की विभिन्न पृष्ठभूमियों को दर्शाते हैं। शीर्ष दस प्रसिद्ध पेयों में कश्मीरी चाय, जिसे नून चाय भी कहा जाता है, अपनी विशिष्ट गुलाबी रंगत और झागदार बनावट के साथ प्रमुखता से उभरती है, जिसे अक्सर इलायची के साथ समृद्ध किया जाता है

Kahwa
- सामग्री:
- बादाम और अखरोट: ये नट्स कावा में कुरकुरापन और समृद्धि जोड़ते हैं।
- कश्मीरी केसर: इसकी गर्मी और समृद्ध स्वाद के लिए जाना जाता है।
- इलायची: सुगंधित महक जोड़ती है।
- आदरक: गर्म पेय के लिए एक आदर्श तत्व।
- गुलाब की पत्तियाँ और नींबू: ताजगी और थोड़ा खट्टापन के लिए।
- शहद: कावा को मीठा करता है और स्वादों को संतुलित करता है।
- तैयारी:
- कावा को सही मात्रा में बनाया जाता है, अक्सर गर्म पानी में केसर और इलायची के साथ भिगोकर।
- स्वाद बढ़ाने के लिए इसकी तैयारी में कोयला डालना विशेष स्वाद दे सकता है।
- कहाँ आजमाएँ:
- दल झील की ओर जाएँ, जहाँ आप जैसे मुस्ताक भाई जैसे स्थानीय विक्रेताओं को पाएँगे, जो अपनी असली कावा के लिए जाने जाते हैं। वह इसे उत्साह और मेहमाननवाज़ी के साथ बनाते हैं।
कीमतें और अनुभव
- एक कप कावा का आनंद लें केवल ₹50 में। यह केवल पेय के बारे में नहीं है, बल्कि इस पूरे अनुभव के बारे में है—दल झील के शांत जल से घिरे रहना और कश्मीर की मेहमाननवाज़ी का आनंद लेना।
- याद रखें, वातावरण बहुत महत्वपूर्ण है! झील के बीच बैठकर इस गर्म, सुगंधित पेय का आनंद लेना एक लाजवाब अनुभव होगा, जो आपको ऐसा महसूस कराएगा जैसे आप कोई ऐसा भोजन ले रहे हों जो ₹500 या उससे अधिक का हो।

Noon Chai (Sheer Chai)
यहाँ पर शीर चाय (जिसे नून चाय भी कहा जाता है) बनाने की विधि दी जा रही है।
सामग्री:
- ग्रीन टी की पत्तियां
- बेकिंग सोडा
- दूध
- नमक
- इलायची के दाने
- वैकल्पिक: एक चुटकी लौंग या दालचीनी
विवरण:
शीर चाय, जिसे नून चाय के नाम से भी जाना जाता है, एक खास गुलाबी चाय है जो अपने समृद्ध और मलाईदार स्वाद के लिए जानी जाती है। इस चाय की सबसे अनोखी बात यह है कि इसमें बेकिंग सोडा डाला जाता है, जो इसे इसका विशिष्ट गुलाबी रंग देता है। शीर चाय को अक्सर पारंपरिक ब्रेड के साथ खाया जाता है और खास मौकों पर इसका आनंद लिया जाता है।

Chhang
छांग (जिसे छांग भी कहा जाता है) हिमालयी क्षेत्रों, जैसे नेपाल, तिब्बत और भूटान में लोकप्रिय एक पारंपरिक मादक पेय है। यह जौ, रागी (फिंगर-मिलेट) या चावल के किण्वन (फरमेंटेशन) से बनाया जाता है और आमतौर पर सामाजिक समारोहों और त्योहारों के दौरान इसका सेवन किया जाता है।
छांग कैसे बनाया जाता है?
- सामग्री: जौ, रागी (फिंगर-मिलेट) या चावल के दाने।
- किण्वन (Fermentation): दानों को आंशिक रूप से किण्वित (फरमेंट) किया जाता है और फिर इन्हें धुंग्रो नामक बाँस के बने एक विशेष पात्र में रखा जाता है।
- उबालना (Boiling): किण्वित दानों के ऊपर उबलता हुआ पानी डाला जाता है और फिर इसे एक पतली बाँस की नली जिसे पिपसिंग कहा जाता है, के माध्यम से पिया जाता है।
- स्वाद बढ़ाने के लिए: कभी-कभी स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें अदरक और अकोनाइट (एक जहरीला पौधा) मिलाया जाता है, लेकिन इसके सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि यह विषाक्त हो सकता है।
छांग कैसे परोसा जाता है?
- गर्मियों के दौरान, छांग को कमरे के तापमान पर पिया जाता है।
- सर्दियों में, इसे पीतल के कटोरे या लकड़ी के मग में गर्मागर्म परोसा जाता है, ताकि ठंड में शरीर को गर्मी मिल सके।

Lassi
लस्सी एक पारंपरिक भारतीय दही-आधारित पेय है, जो ताज़गी देने के साथ-साथ कई रूपों में बनाया जा सकता है। इसे मीठा और नमकीन दोनों तरह से तैयार किया जाता है। यहाँ इस स्वादिष्ट पेय के बारे में विस्तृत जानकारी दी जा रही है।
मीठी लस्सी
सामग्री:
- दही
- पानी या दूध
- चीनी या शहद
- वैकल्पिक: इलायची, केसर, गुलाब जल या ताजे फल (जैसे आम)
विवरण:
मीठी लस्सी गर्मी के मौसम में ठंडक देने वाला पेय है। इसे इलायची के स्वाद के साथ परोसा जाता है और कभी-कभी ऊपर से केसर या गुलाब जल छिड़क कर सजाया जाता है। आम के मौसम में, मैंगो लस्सी सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली किस्मों में से एक है।
नमकीन लस्सी (नमकीन लस्सी)
सामग्री:
- दही
- पानी
- नमक
- वैकल्पिक: भुना जीरा पाउडर, काला नमक, पुदीने की पत्तियां
विवरण:
नमकीन लस्सी का स्वाद उत्तरी भारत में बहुत पसंद किया जाता है। इसे नमक और भुने हुए जीरे के साथ परोसा जाता है। इस पेय को पाचन के लिए फायदेमंद माना जाता है और यह भोजन के साथ या गर्मियों में ठंडक देने के लिए पिया जाता है।
लस्सी के विभिन्न प्रकार
- मैंगो लस्सी: इसमें पके हुए आम या आम का प्यूरी डालकर बनाया जाता है।
- गुलाब लस्सी: इसमें गुलाब जल की कुछ बूंदें मिलाई जाती हैं, जिससे इसमें हल्की फूलों की खुशबू आती है।
- केसर लस्सी: इसमें गर्म दूध में भिगोए गए केसर के कुछ रेशे मिलाए जाते हैं, जो इसे सुगंधित और खूबसूरत पीला रंग देते हैं।

Thandai
ठंडाई एक पौष्टिक और ठंडक देने वाला पेय है, जो गर्मियों के मौसम के लिए आदर्श है। इसमें सूखे मेवे और बीज मिलाने से इसका स्वाद क्रीमी हो जाता है, जबकि इलायची और काली मिर्च इसे हल्की तीखापन प्रदान करती हैं। केसर और गुलाब की पंखुड़ियां इस पेय को सुगंधित और स्वादिष्ट बनाती हैं।
ठंडाई केवल एक पेय नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और त्योहारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। खासकर उत्तर भारत में, होली और महाशिवरात्रि के दौरान इसे विशेष रूप से परोसा जाता है। ठंडाई के सभी तत्व—जैसे बादाम, सौंफ और गुलाब—स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माने जाते हैं। ये शरीर को ठंडक प्रदान करने और गर्मियों में ऊर्जा बनाए रखने में मदद करते हैं।

Safed Chai
सफेद चाय, कैमेलिया साइनेंसिस (Camellia sinensis) पौधे की कोमल पत्तियों और कलियों से बनाई जाती है। इन पत्तियों को न्यूनतम प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) के साथ तैयार किया जाता है, जिससे इसके प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट और स्वाद सुरक्षित रहते हैं। सफेद चाय का नाम इसके कच्चे पत्तों पर मौजूद सफेद बालों (fine white hairs) के कारण पड़ा है, जो इसकी कलियों को हल्का सफेद रूप देता है।
सफेद चाय का स्वाद हल्का, नाजुक और थोड़ा मीठा होता है। इसमें फूलों की हल्की सुगंध होती है और यह ग्रीन और ब्लैक टी की तुलना में कम कड़वाहट और कम कसैलापन (astringency) लिए होती है।
सफेद चाय, जिसे कश्मीरी या नून चाय के नाम से भी जाना जाता है, जम्मू और कश्मीर के खूबसूरत क्षेत्र से उत्पन्न एक प्रिय पेय है। इसकी मलाईदार बनावट और अनूठे स्वाद के लिए इसे जाना जाता है, जो हरी चाय की पत्तियों, दूध, और एक चुटकी नमक से बनाई जाती है।

Ruangan Chai
रुआंन चाय, जिसे “कश्मीरी पिंक टी” के नाम से भी जाना जाता है, जम्मू और कश्मीर के कश्मीर घाटी में उत्पन्न होने वाला एक पारंपरिक पेय है। इसकी क्रीमी बनावट और अनोखे गुलाबी रंग के लिए इसे जाना जाता है, यह चाय हरे चाय के पत्तों को बेकिंग सोडा के साथ उबालकर बनाई जाती है, जो रंग को बदल देती है। फिर इसे अच्छे से फेंटकर हवा दी जाती है, इसके बाद दूध और मसाले जैसे इलायची और दालचीनी मिलाए जाते हैं।

Basil Seeds drink
बेसिल सीड ड्रिंक (तुकमारिया ड्रिंक या सब्जा सीड ड्रिंक) एक ताज़गी भरा और पोषण से भरपूर पेय है, जो खासतौर पर गर्मियों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। सब्जा बीज (तुकमारिया) अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए प्रसिद्ध हैं और इस पेय को कई स्वादों में बनाया जा सकता है।
सामग्री:
- 1-2 टेबलस्पून सब्जा बीज (तुकमारिया बीज)
- 1 कप पानी या आपकी पसंद का कोई अन्य तरल (जैसे नारियल पानी, फलों का रस या दूध)
- वैकल्पिक मिठास: शहद, एगेव सिरप या चीनी
- वैकल्पिक स्वाद: नींबू का रस, पुदीने के पत्ते, या ताजे फल
बनाने की विधि:
- बीज भिगोना: सबसे पहले, सब्जा के बीजों को 15-30 मिनट के लिए पानी में भिगो दें। बीज फूलकर जेल जैसी बनावट में बदल जाते हैं।
- तरल तैयार करें: जब तक बीज फूल रहे हों, तब तक आप पानी, नारियल पानी, फलों का रस या दूध तैयार कर लें।
- बीज और तरल मिलाएं: भीगे हुए बीजों को छान लें और उन्हें तैयार तरल में मिला दें। अच्छे से मिक्स करें।
- मिठास (वैकल्पिक): स्वाद के अनुसार शहद, एगेव सिरप या चीनी डालें और मिलाएं।
- फ्लेवर (वैकल्पिक): स्वाद बढ़ाने के लिए नींबू का रस, पुदीने के पत्ते, या ताजे फल जैसे स्ट्रॉबेरी, कीवी या आम डाल सकते हैं।
- परोसना: ड्रिंक को ठंडा करने के लिए कुछ समय के लिए फ्रिज में रख दें और ठंडा-ठंडा परोसें।

Kokum Sherbet
कोकम शरबत (जिसे कोकम जूस या कोकम शर्बत भी कहा जाता है) एक लोकप्रिय और ताज़गी भरा पेय है, जो महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात में विशेष रूप से गर्मियों के दौरान पिया जाता है। इसके ठंडक प्रदान करने वाले गुण और स्वाद इसे गर्मियों में और भी खास बना देते हैं। यहां एक आसान रेसिपी दी जा रही है, जिसे आप घर पर भी बना सकते हैं।
ये पेय जम्मू और कश्मीर में उपलब्ध जीवंत स्वाद और विविधता को प्रदर्शित करते हैं, जो इस क्षेत्र की विशेष सामग्रियों और सांस्कृतिक परंपराओं को समाहित करते हैं।
Conclusion
जम्मू के अनूठे पेय पदार्थों की खोज करना वास्तव में एक समृद्ध अनुभव हो सकता है। सुगंधित कहवा और मलाईदार शीर चाय से लेकर ताज़ा तुलसी बीज पेय और त्योहारी ठंडाई तक, प्रत्येक पेय क्षेत्र की समृद्ध पाक परंपराओं और सांस्कृतिक महत्व का स्वाद प्रदान करता है। चाहे आप सफेद चाय के सूक्ष्म स्वाद का स्वाद ले रहे हों या कोकम शर्बत के एक गिलास के साथ ठंडा हो रहे हों, ये पेय निश्चित रूप से आपकी इंद्रियों को प्रसन्न करेंगे और स्थानीय जीवनशैली की एक झलक प्रदान करेंगे। इन स्वादिष्ट और ताज़ा पेय पदार्थों के माध्यम से अपनी यात्रा का आनंद लें!
FAQ
जम्मू के पेय पदार्थों से संबंधित शीर्ष 10 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उत्तर यहां दिए गए हैं:
1. कहवा क्या है?
उत्तर: कहवा एक पारंपरिक कश्मीरी चाय है जो हरी चाय की पत्तियों, केसर, दालचीनी, इलायची और बादाम से बनाई जाती है। यह अपनी खुशबूदार और गर्माहट देने वाले गुणों के लिए जानी जाती है, जो ठंड के मौसम के लिए एकदम सही है।
2. शीर चाय क्या है?
उत्तर: शीर चाय, जिसे नन चाय के नाम से भी जाना जाता है, कश्मीर की एक नमकीन गुलाबी चाय है जिसे हरी चाय की पत्तियों, दूध और बेकिंग सोडा से बनाया जाता है, जिससे इसे एक विशिष्ट रंग और मलाईदार बनावट मिलती है।
3. छांग क्या है?
उत्तर: छांग किण्वित जौ, बाजरा या चावल से बना एक पारंपरिक मादक पेय है, जो नेपाल, तिब्बत और भूटान के कुछ हिस्सों सहित हिमालयी क्षेत्रों में लोकप्रिय है।
4. आप ठंडाई कैसे बनाते हैं?
उत्तर: ठंडाई को भिगोए हुए मेवों (बादाम, पिस्ता, काजू), बीजों (सौंफ, खसखस, खरबूजा), मसालों (इलायची, काली मिर्च) और केसर के पेस्ट के साथ दूध मिलाकर बनाया जाता है। यह एक ताज़ा पेय है जिसे अक्सर होली जैसे त्यौहारों के दौरान पिया जाता है।
5. लस्सी क्या है?
उत्तर: लस्सी एक पारंपरिक भारतीय दही आधारित पेय है जो मीठा या नमकीन हो सकता है। मीठी लस्सी में अक्सर चीनी और फल शामिल होते हैं, जबकि नमकीन लस्सी में नमक और मसाले डाले जाते हैं।
6. तुलसी के बीज का पेय क्या है?
उत्तर: तुलसी के बीज का पेय, जिसे सब्जा बीज पेय के रूप में भी जाना जाता है, तुलसी के बीजों को पानी में भिगोकर तब तक बनाया जाता है जब तक कि वे जिलेटिनस न हो जाएं, फिर उन्हें पानी, नारियल पानी या फलों के रस में मिलाएँ। यह अपने शीतलन और पाचन गुणों के लिए जाना जाता है।
7. कोकम शर्बत क्या है?
उत्तर: कोकम शर्बत कोकम फल (गार्सिनिया इंडिका), चीनी और इलायची और जीरा जैसे मसालों से बना एक ताज़ा पेय है। यह अपने ठंडक देने वाले प्रभाव और पाचन संबंधी लाभों के लिए लोकप्रिय है।
8. सफ़ेद चाय (सफ़ेद चाय) क्या है?
उत्तर: सफ़ेद चाय या सफ़ेद चाय, चाय के पौधे की युवा पत्तियों और कलियों से बनाई जाती है। इसका स्वाद नाज़ुक होता है और यह अपने उच्च एंटीऑक्सीडेंट तत्व और हल्के रंग के लिए जानी जाती है।
9. जम्मू की हर्बल चाय पीने के स्वास्थ्य लाभ क्या हैं?
उत्तर: स्थानीय जड़ी-बूटियों से बनी जम्मू की हर्बल चाय में पाचन में सहायता, तनाव कम करने, प्रतिरक्षा में सुधार और एंटीऑक्सीडेंट प्रदान करने सहित कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं।
10. मैं जम्मू में इन पारंपरिक पेय पदार्थों को कहाँ आज़मा सकता हूँ?
उत्तर: आप जम्मू में स्थानीय चाय घरों, कैफ़े और रेस्तराँ में इन पारंपरिक पेय पदार्थों को आज़मा सकते हैं। कहवा और शीर चाय विशेष रूप से कश्मीरी थीम वाले भोजनालयों में लोकप्रिय हैं, जबकि कोकम शर्बत और लस्सी कई स्थानीय भोजनालयों में मिल सकती है।
अगर आपके पास कोई और सवाल है या इनमें से किसी भी पेय पदार्थ के बारे में और जानकारी चाहिए तो बेझिझक पूछें!